एक समय था जब मैं समझती थी कि प्यार हमेशा रहता है। मैंने उसे अपना सब कुछ दिया – भावनाएँ, समय, भरोसा – सब कुछ। लेकिन जीवन कठिन तरीके से सिखाता है। जिस व्यक्ति से मैंने सबसे ज़्यादा प्यार किया, उसने मुझे सबसे ज़्यादा दुख पहुँचाया। तभी मैं नफ़रत शायरी(Nafrat Shayari) सहारा लिया – इसलिए नहीं कि मैं उनसे नफ़रत करती थी, बल्कि इसलिए कि मुझे दर्द, विश्वासघात और उन सभी भावनाओं को व्यक्त करने की ज़रूरत थी जिन्हें मैं अब ज़ोर से नहीं कह सकती थी।
अगर आप कभी प्यार में पड़े हैं, और फिर महसूस किया है कि यह कुछ कड़वाहट में बदल गया है… तो आप यहाँ लिखे हर शब्द से खुद को जोड़ पाएँगे। मैं यहाँ उपदेश देने नहीं आई हूँ, बस यह साझा करती हूँ कि मुझे किस चीज़ ने इससे निपटने में मदद की – शायद यह आपकी भी मदद करे।
💔 Nafrat Shayari in Hindi
Woh pyaar hi kya jo khushi de har waqt,
Nafrat bhi wahi hai jo dil tak chubh jaaye.
Aaj bhi uski tasveer dekhta hoon,
Bas farq itna hai — ab pyaar nahi, nafrat se.
Tune nafrat bhi usi tarah ki,
Jaise pyaar kiya tha kabhi — बेइंतहा।
Nafrat bhi ab khud se ho gayi hai,
Tujhse pyaar karke galti jo kar baitha.
Tere jaane ke baad mohabbat se yaqeen uth gaya,
Ab nafrat hi kaafi hai dil ke sukoon ke liye.

Read More Shayari – bewafa shayari
Pehle pyaar mein tha asar, ab nafrat mein hai dum,
Tere jaise logon ke liye, yahi hai karam.
Mohabbat mein bewafa mile,
Toh nafrat hi wafa ban gayi.
Nafrat itni bhi aasaan nahi,
Waqt lagta hai kisi ko bhoolne mein.
Pyaar tha, tab bhi aansu aaye…
Nafrat hai, ab toh muskura kar bhool jaate hain।
💔 Nafrat Shayari That Hit Hard
Once I cared, now I don’t,
Your love turned cold, and so did I.
You made promises with ease,
Breaking them was just another breeze.
I loved you honestly,
You returned it with silence and lies.
Hate is a strong word,
But not stronger than what your love became.
We were a story,
But you rewrote it in betrayal.

Read More Shayari – sad shayari in English
The pain you caused,
Now speaks in my silence.
I forgave you once, twice…
But now, my peace matters more.
When love breaks you, don’t hate love.
Just learn to love yourself harder.
✨Love vs Hate Shayari in Hindi
नफ़रतों को जलाओ, मोहब्बत की रौशनी होगी,
वरना इंसान जब भी जले हैं — सिर्फ़ ख़ाक ही हुए हैं…
नफ़रतें बाँटने से कुछ नहीं मिलता,
मोहब्बत बाँटो तो ज़िंदगी महक उठती है।
नफ़रत की आग में जो भी जला है,
अंत में बस राख ही बचा है।
अगर दिल में मोहब्बत हो, तो लफ्ज़ खुद-ब-खुद मीठे बन जाते हैं,
वरना नफ़रत की जुबां हर रिश्ते को जला डालती है।
एक दिया मोहब्बत का क्या कमाल करता है,
अँधेरों की पूरी बस्ती को रोशन कर जाता है।

नफ़रत में ताक़त है तो मोहब्बत में राहत है,
दुनिया को जीतना हो तो मोहब्बत से बेहतर कोई राह नहीं।
जो मोहब्बत से जीते हैं, वही असली इंसान हैं,
वरना नफ़रत तो जानवर भी कर लेते हैं।
हर दिल में चिंगारी है, सवाल यह है —
तू उससे जला देगा, या उजाला कर देगा?
नफ़रत से चुप रहते हैं, मोहब्बत से लोग जुड़ते हैं,
असली जीत वही है जो दिलों में जगह बना ले।
💔 नफ़रत भरी शायरी
मोहब्बत की थी और इतनी शिद्दत से की थी,
पर तुझसे अब नफ़रत भी इबादत की तरह करते हैं।
कभी जो दिल में बसा था, अब ज़हन में ज़हर बन बैठा है,
इश्क़ में मिली वो चोट अब नफ़रत का नाम बन बैठा है।
तेरे झूठ ने मुझसे मेरा सब्र छीन लिया,
अब न मोहब्बत बची है, न मोहलत… सिर्फ़ नफ़रत बची है।
नफ़रत भी अब सिखा दी तूने मोहब्बत की तरह,
अब तो दर्द भी अपना सा लगता है।
जिसे हमने अपना सब कुछ समझा,
वो ही हमें हर मोड़ पर गिरा गया — नफ़रत सिखा गया।

तेरे फरेब ने मुझे तन्हा कर दिया,
अब नफ़रत ही है जो साथ निभा रही है।
तू चाहता था मैं टूट जाऊँ,
अब देख — मैं नफ़रत बन गया हूँ।
अब मोहब्बत की नहीं, तेरी सूरत से भी नफ़रत है,
तेरे झूठे वादों ने हर एहसास को जला दिया है।
दिल दिया था सोचकर कि संभालोगे,
तूने तो तोड़कर नफ़रत की आग में फेंक दिया।
अब किसी से मोहब्बत की ख्वाहिश नहीं रही,
क्योंकि नफ़रत की आग ने सब जला दिया।
💔 नफ़रत की दो लाइन शायरी
जिसे चाहा वो ही ज़हर दे गया,
अब मोहब्बत नहीं सिर्फ़ नफ़रत बची है।
तेरी बेवफाई ने ऐसा असर किया,
अब हर मुस्कान में नफ़रत दिखती है।
मोहब्बत की थी मगर तूने नफ़रत दे दी,
दिल ही नहीं अब तो दुआ भी बदल दी।
तू अपना बना कर भी गैर निकला,
तेरे बाद नफ़रत से गहरा कोई रिश्ता नहीं मिला।
तेरी यादें अब सुकून नहीं देतीं,
वो मोहब्बत अब नफ़रत में बदल चुकी है।

कभी दिल में था, अब दिमाग में रहता है,
तू मोहब्बत से नफ़रत तक का किस्सा है।
जिसे सर आँखों पर रखा था,
वो ही आज सबसे बड़ी नफ़रत बन गया।
अब तुझसे कोई शिकवा नहीं,
नफ़रत भी खुदा की तरह हो गई है — चुपचाप।
नफ़रत में भी अब मज़ा आने लगा है,
क्योंकि मोहब्बत ने सिर्फ़ धोखा ही दिया है।
तेरा नाम अब जुबां पर नहीं आता,
दिल से निकल चुका है — नफ़रत भी थक गई है।